जब तुम किसी कि कहानी लिखना-कविता | निशु मिश्र (Jab tum kisi ki kahani likhna- Nishu Mishra)
जब तुम किसी की कहानी लिखना
जब तुम किसी कि कहानी लिखना
सुख के गुब्बारों के साथ ,दुःख कि सीमा भी लिखना.
समृद्धि के बगीचों के साथ ,लिखना रास्तों का अभाव
कुछ पाने के लिए खुद में किए गए वो बदलाव..
बीते हुए समय कि खुशहाली लिखना,
आने वाले समय कि बेताबी लिखना,
और चल रहे समय कि घुटन भी लिखना..
बाहर से मौन,तो अन्दर कि अशांति भी लिखना,
बार बार गिर कर उठने वाली वो क्रांति भी लिखना..
बिना जानकारी के उसके बारे में राय बना लेने वाले
समाज की बात भी लिखना,
उसके जस्बात भी लिखना..
समाज से दूर हुए बिना,चलते रहने वाले
सुख का जरिया और दुःख की नींव "वो काम" कि थकान भी लिखना.
काम के कारण अपनों को समय ना दे पाने वाला विलाप लिखना,
बस मत लिखना उस कहानी का अंत,
"अंत में सब सही हो जाता है " जीवित रहने देना ये भ्रम....
➡️ लेखिका: निशु मिश्र 🌻
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