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मन पर विजय प्राप्त कीजिए -लेख| Article on Self-control/mind control

Control on your mind, self control


मन पर विजय प्राप्त कीजिए

यह बात ध्यान देने की है कि बाह्य वस्तुएँ हमको अखंड व चिरस्थायी शांति प्रदान नहीं कर सकतीं और न उनसे बुद्धि एवं ज्ञान में ही वृद्धि होती है। जो शरीर पाप से लदा है, उसे पौष्टिक पदार्थों और शक्तिप्रदायक औषधियों से हानि ही प्राप्त होगी। जैसे सर्प को दुग्ध का पान कराने से उसके विष में ही वृद्धि होती है, उसी प्रकार : चरित्रभ्रष्ट अथवा अशुद्ध विचार वाले मनुष्य को पौष्टिक पदार्थ उसकी पाप-वासना की वृद्धि का कारण ही होते हैं। बुद्धिमान पुरुष भली भाँति समझते हैं कि जब तक हमने मन पर विजय नहीं पाई, तब तक संसार में हमारी सदैव हार है। अपने पड़ोसी के अधिकारों  को छीन लेने में अथवा निर्बल पुरुष को धक्का देने में हमारी कोई विजय नहीं है। 

हमारी विजय वास्तव में उनके स्वत्वों की रक्षा करने और निर्बलों तथा दुःखियों की सहायता करने में है। जब मनुष्य बजे अपने स्वभाव पर विजय प्राप्त कर लेता है, तो उसे बाह्य परिस्थितियों को अनुकूल बनाने में अधिक परिश्रम नहीं करना पड़ता। वे परिस्थितियाँ अपने आप सँभल जाती हैं। ऐसे मनुष्य को सुख व शांति अपने आप प्राप्त होती है और अंतरात्मा की प्रसन्नता से दैविक शक्ति उपलब्ध होती है। मनुष्य अपने मन पर शासन कर सकता है। हमारा कर्त्तव्य है कि हम अपने स्वभाव को परिस्थितियों के अनुकूल बनाएँ।


लेख स्त्रोत: युग निर्माण योजना से..

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