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बरखा सोलंकी की रचनाएं| Compositions by Barkha Solanki

Barkha Solanki ki rachanae

 


बरखा सोलंकी की रचनाएं 


#1.
स्वंय में तुम राम हो , स्वंय में तुम रावण । स्वंय मैं तुम प्रेम, हो स्वंय मैं तुम नफरत । जब स्वंय ही अपने जीवन , के एकमात्र सार हो । तब क्यो मागते , दुसरो से अधिकार हो । स्वंय तुम सृष्टि के व्यवहार हो, स्वयम् तुम अपनी स्थिति के रचनाकार हो | ~बरखा ☔
#2
अपनी गलतियों का अंबार नहीं उनका सार देखो । जितना हो सके परिस्थितियों में सुधार देखो । फिर भी ना हो रही हो , मुश्किलें खत्म , तो प्रार्थना करो ईश्वर से और उनके चमत्कार देखो ।।
- बरखा






#3
रिश्तों में भी जग ढूंढे, नफा नुकसान और भोग । कबीरा इस संसार में , भांति भांति के लोग । -बरखा ☔


#4
लकड़ी की तख्ती पर लिखे पेड़ बचाओ का नारा ठीक वैसे ही लगता है , जैसे किसी बच्चे का बाल विवाह करके उसे दुधों नहाओ पुतो फलो का आशीर्वाद देना । -बरखा☔

#5
जितनी आटे में नमक की मात्रा होती है ,
इन्सान में  उतना खोफ़ होना ही चाहिए ।
बेफिक्र बेखोफी में अपराध पनप जाते हैं ।

-बरखा ☔

वैसे मै बहुत सिद्धांतवादी हूं लेकिन , जब मै अपनी सीमाएं तुम्हारे कहने पर तोड़ दु । तब समझ लेना तुम मुझ से ज्यादा मेरे लिए जरूरी हो ।। - बरखा☔ Ig @misssolankki

#7
अपने सब्र के फल का हिस्सेदार सिर्फ उसे ही बनाना । जिसने आपके सब्र को सफ़ल , बनाया है । ~बरखा

लेखिका परिचय

writer

बरखा सोलंकी

कवित्री और लेेेखिका

इंदौर, मध्यप्रदेश

बरखा जी पेशे से शिक्षिका हैं । वे प्रेम, जीवन व सामाजिक मुुुद्दो पर क्षणिकाएं लिखती है ।

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