मुश्किलों से संवरना -कविता |आपकी कवयित्री (Mushkilo Se Samvarna Poem By Aapki Kavyitri)
बड़ी मुश्किल से पहचाना है खुदको
ओर बड़ी मुश्किल से संवारा है खुद को
न जाने क्यों समझते हम खुद को
गलत जब तुम सही हो क्यों झुकना सिर को
घबराओ मत तुम खुद के साथ हो
एक दिन इस दुनिया को हराना है तुमको
एक दिन इस आसमान में उड़ना है तुमको
लेखिका: आपकी कवयित्री🌻
लेखिका परिचय
आपकी कवयित्री
लेेेखिका
मध्यप्रदेश
मैं एक लेखिका हूं, लिखना पहले मेरी हॉबी था। पर अब इसे मैं प्रोफेशनल बनाना चाहती हूँ। मुझे अलग अलग प्रतियोगिताओं में भाग लेना पसंद है। मेरा instagram, koo, pinterest, your quote, twitter पर एकाउंट @krishna_ki_dhun है जिसमें मैं स्त्री, माँ, ख्वाब जैसे विषयों पर लिखना पसंद करती हूं । मेरा ब्लॉग पेज भी है poetry by aapki kavyatri
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