रचना तिवारी के विचार | Quotes by Rachana Tiwari
रचना तिवारी के विचार
1.
मां के हिस्से में सिर्फ फिक्र और जिन्दगी भर
अपने होठों पर किसी अपने के लिए दुवाएं आती है........
~रचना तिवारी🌻
2.
मारने के बाद ही क्यू जमाना तारीफों के पुल बांधा करता है,
जो अब सुना ही नहीं सकता है
बस उसी के लिए ये सारा तामझाम करता है....!
~ #रचना तिवारी
3.
मन में चल रहे युद्ध को जीतना दुनिया का सबसे ज्यादा
मुश्किल काम मालूम पड़ा मुझे....!
~ #रचना तिवारी
4.
ना जाने इश्क़ वाले इश्क़ में क्या चाहते हैं....!
मिलने के बाद भी मिलने की दुआ करते हैं....!!
#मिट्टी। ~रचना तिवारी
5.
जीत का जश्न तो पक्का है,
पर हार कर किसी को गले लगाना
यह रिवाज तो और भी अच्छा है.....
#रचनातिवारी
#हिन्दी सुविचार संग्रह
6.
2021 ये सबक सिखाता है,
हद से ज्यादा आराम भी मुसीबत बन जाता हैं।
कितने ही ख़्वाब,ख्वाहिश अन्दर-अन्दर रहा गए।
हम इंसा एक वायरस की भेंट,
बिना किसी गलती के जो चढ़ गए,
चाहा था फूलो से साल को सजाना
नहीं मालूम था कांटों के गुलदस्ते से होगा जिन्दगी का सामना..।
~ रचना तिवारी
7.
फुर्सत नहीं थी जिनको सांसे तक लेने की
उनको सांसों की अहमियत समझ रहा है
देखो 2021 आज आखिर जा ही रहा है......
~ रचना तिवारी | Rachana Tiwari(M.P.)
8.
जिस इंसानियत को दफन कर चुके थे हम कभी का उससे
आहिस्ता आहिस्ता गहरी नींद से जगा रहा है
देखो 2021 का साल कितने सबक देकर जा रहा है....
~ रचना तिवारी🌻
(Writer Rachana Tiwari, M.P.)
9.
2022 का आगाज होगा ऐसा,
जिंदगी का नया सफर शुरू हो रहा हो जैसा,
नए है ख्वाब, नई उड़ान ,जीत कर रखना है
अपनी मुट्ठी में सारा नीला आसमान.....
~ रचना तिवारी
10.
इस दुनिया में सुन्दरता के केवल दो ही सुन्दर प्रतीक
जिनके नाम तितली और फूल....!
~ रचना तिवारी🌻
11.
प्रेम मे सब कुछ संभव नहीं होता
लेकिन प्रेम से सब कुछ संभव होता है....!
~ रचना तिवारी
12.
अगर आप अपने अंदर के विचारों से स्वतंत्र नहीं हैं तो
आपकी बाहरी स्वतंत्रता आपके किसी काम नहीं आयेगी..।।
#रचना तिवारी
13.
गुण,अवगुण,आकार,विकार से रहित बस एक ही है
जिसे हम ईश्वर पुकारते हैं....
~रचना तिवारी🌻
14.
भारतीय शिक्षा एवं सांस्कृतिक इस समय काल के कराल स
गुजर रही है जिसका मुख्य कारण सियासत का वज्रपात रूपी होना है.....
~रचना तिवारी🌻
15.
वर्तमान युग द्वारा पैसे को सुख समृद्धि,
सुकून का सूचक शब्द बना दिया गया है....!!
~ रचना तिवारी🌻
16.
मुझे उन लोगों से ज्यादा खुद पर गुस्सा उस वक्त आता है,
जहां बोलना बहुत ही जरूरी था और लोगों ने मुझे चुप्पियो कि सौगात दे रखी थी....!!
~रचना तिवारी🌻
17.
सागर तुम इतने खारे क्यूं हो
सब सीमित है,इक तुम ही इतने सारे क्यूं हो....?
मैं चाहतीं हूं तुम्हें बेहद,बेशुमार, बेहिसाब....?
फिर तुम्हें किनारों की लहरों का ही इंतजार क्यूं है.....?
मैं तो बावरी सी बह रही हूं तुमसे मिलने के लिए,
फिर तुम्हें डूबती कश्ती से इतना प्यार क्यूं है.....??
~ रचना तिवारी
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