धूर्त बिल्ली का न्याय - लघु कथा
धूर्त बिल्ली का न्याय की कहानी
एक समय पहले की बात है एक पेड़ के तने में एक तीतर रहा करता था। वह रोजाना खाना ढूढ़ने के लिए आसपास जाया करता था।एक डिव वह खाना ढूढ़ते हुये बहुत दूर चले गया। और इसी के चलते बहुत दिन हो गए । तब वहाँ उस पेड़ के तने के पास घूमते फिरते एक खरगोश आ पहुंचा और आराम से वही रहने लगा।
जब एक दिन वहाँ तीतर वापिस लौट कर आया तो वह तीतर को देखकर घुस्सा हो गया । और खरगोश से लड़ने झगड़ने लगा। वही दूसरी ओर उन दोनों को लड़ते झगड़ते देख। वही थोडी दूर बैठी बिल्ली उनके शिकार का मौका ढूढ़ने लगी।
वही जब उन दोनों की नजर बिल्ली पर पड़ी और जैसे ही बिल्ली ने उनके देखने पर वह पेड़ के नीचे ध्यान मुद्रा में बैठ गई और जोर-जोर से ज्ञान की बातें बोलने लगी। उसकी बातों को सुनकर तीतर और खरगोश ने बोला कि यह कोई ज्ञानी लगती है और हमें झगड़े को सुलझाने और फैसले के लिए इसके ही पास जाना चाहिए।
उन दोनों ने दूर से बिल्ली से कहा, “बिल्ली मौसी, तुम हमे बहुत ज्ञानी और समझदार लगती हो। झगड़ा सुलझाने में हमारी मदद करो और हम मैं से जो भी दोषी होगा, उसे तुम खा लेना।”
उनकी यह बात सुनकर बिल्ली ने कहा, “अब मैंने हिंसा का रास्ता छोड़ दिया है, लेकिन मैं तुम्हारी मदद जरूर करूंगी। परन्तु समस्या यह है कि मैं अब बूढ़ी हो गई हूं और इतने दूर से मुझे कुछ सुनाई नहीं दे रहा है। क्या तुम दोनों मेरे पास आ सकते हो?”
उन दोनों ने बिल्ली की बात पर भरोसा कर लिया और उसके पास चले गए। जैसे ही वो उसके पास गए, बिल्ली ने तुरंत झपट्टा मारा और एक ही झपट्टे में दोनों को मार डाला। और खा गई।
कहानी से सीख
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि पहले तो हमें झगड़ा नहीं करना चाहिए और अगर झगड़ा हो भी जाता है, तो किसी तीसरे व्यक्ति को बीच में आने नहीं देना चाहिए।
Good aniket
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