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कुम्हार की कहानी (Kumhar ki Kahani-in hindi)


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कुम्हार की कहानी 

 एक गांव में दिनकर नाम का एक कुम्हार रहा करता था।  वह मिट्टी के बहुत ही अच्छे और सुंदर सुंदर-सुंदर बर्तन बनाया करता था । बस उसे  शराब पीने की एक बुरी लत थी,  जिसके चलते वह  जो भी मिट्टी के बर्तन बनाता था और जो भी पैसे मिलते थे  उनसे शराब खरीद कर पी लेता। 
उसकी इस गंदी आदत के लिए बहुत से लोगों ने रोका टोका भी और नसीहत भी दी ,एक की भी बात को उसने न सुनी।

रोज की तरह एक रात वह शराब के नशे में अपने घर लौट रहा था। वह इतना नशे में था कि ठीक से चल भी नही पा रहा था। अचानक वह लड़खड़ाया और वह जमीन पर गिर पड़ा। जमीन पर कांच के टुकड़े पड़े थे, जिनमें से एक टुकड़ा उसके माथे में घुस गया। उसके माथे से खून बहने लगा। इसके बाद कुम्हार किसी तरह उठा और अपने घर की ओर चल दिया।


घर पर पहुचने पर रोजाना की तरह उसकी पत्नी ने उसे रोक टोका और उसे कहने लगी कि "अगर अगली बार वह शराब पीकर आया तो उसे घर से बाहर निकाल देगी और उसकी शिकायत दरबार मे जाकर राजा से करेगी।"
परंतु वह कुम्हार शराब के नशे में इतना चूर था कि उसे इस बात की भनक भी नहीं थी। और अचानक उसे इस बात को सुनकर बहुत गुस्सा आया और अपनी पत्नी को बुरी तरह से पीटने लगा। 
जब आसपड़ोस के लोगो ने उसे अपनी पत्नी को पीटते हुए देखा तो तुरंत उसे बचाने के लिए दौड़ पड़े। और उसके इस कृत्य के चलते। उसे लोगो ने पकडर एक पेड़ से बांध दिया। रातो रात इस घटना की जानकारी राजा को हुई।और अगली सुबह जब उसका नशा उतरा तो उसने अपने आप को राजा और लोगों से घिरा पाया।


जहा राजा ने उसके जो बीते रात को हुई घटना के आधार पर कुम्हार को दोषी करार घोषित करते हुए। कारावास की सजा सुनाई गई। साथ एक महिला को पीटने के दोषी होने के कारण उसका काला मुँह कर पूरे राज्य में घुमाने की सजा भी सुनाई। वही दूसरी ओर कुम्हार की पत्नी ने राजा से ऐसी सजा नही देने की गुहार लगाई। जिसपर राजा ने कुम्हार की पत्नी की उदारता देख कारावास की सजा तो माफ कर दी लेकिन काला मुँह कर राज्य में घुमाने की सजा को बरकरार रखते हुए कहा कि एक स्त्री के मान हानि की उसे यह सजा मिलना जरूरी है।

अब राजा के आदेश अनुसार उस कुम्हार का काला मुंह कर गधे पर बैठाया गया और राजा के सैनिकों ने उसे पूरे राज्य में घुमाया जिस पर उसकी बहुत मानहानि हुई और उस कुम्हार को बहुत शर्मिंदगी महसूस हुई। और पूरे राज्य में कुम्हार की बहुत आलोचना हुई। 
कुम्हार की इस तरह से सजा पूरी हुई और एक बार फिर कुम्हार को राज दरबार हाजिर किया गया। जहाँ कुम्हार ने अपनी गलती के अपनी पत्नी से माफी मांगी और पूरे दरबार मे सभी के सामने यह संकल्प लिया कि आइंदा से वह शराब को हाथ भी नही लगाएगा।



कहानी से सीख

इस कहानी से यह सीख मिलती है कि इंसान को कभी भी किसी तरह का नशा नही करना चाहिए, अन्यथा इससे उसके धन के साथ मान सम्मान को भी हानि होती हैं।

Moral Story for Kids.

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