संगठन ही शक्ति है- लघुकथा ( Sangathan hi shakti hai-hindi short story )
एक होस्टल कैंटीन वाले के रोज़-रोज़ नाश्ते में खिचड़ी दे देने से परेशान 80 बच्चों ने होस्टल वार्डन से शिकायत की, और बदल-बदल के रोज नाश्ता देने को कहा।
100 बच्चों में से सिर्फ 20 बच्चे ऐसे थे,
जिनको खिचड़ी बहुत पसंद थी,
और वो बच्चे चाहते थे, कि खिचड़ी तो रोज़ ही बने।
बाकी के 80 बच्चे परिवर्तन चाहते थे।
वार्डन ने वोटिंग करके
नाश्ता तय करने को कहा।
उन 20 बच्चों ने, जिनको ...
खिचड़ी बहुत पसंद थी,
खिचड़ी के लिए वोट किया.
बाकी बचे 80 बच्चों ने
आपस में कोई सामंजस्य नहीं रखा,
और कोई वार्तालाप भी नहीं किया,
और अपनी बुद्धि एवम् विवेक से
अपनी रूचि अनुसार वोट दिया।
10 ने इडली चुना,
16 ने आलू परांठा,
10 ने सेन्डविच,
12 ने ब्रेड जेम,
18 ने नूडल्स , और
14 ने पूड़ी सब्जी को वोट दिया.
🤔 अब सोचो 🤔
क्या हुआ होगा ?
उस कैंटीन में आज भी
वो 80 बच्चे, रोज़ खिचड़ी ही खाते हैं।
क्यों ?- क्योंकि वो 20 बच्चे बहुमत में व एकजुट रहे।
#शिक्षा
जब तक हिस्सों में 80 बंटे रहोगे,
तब तक 20% वालों का वर्चस्व रहेगा।
समाज के लिये संदेश
एक बनो, संगठित रहो !!
नही तो खिचड़ी ही खानी पड़ेगी।
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