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कविता-प्रीति चित्रण गर्ग |भारमल गर्ग सांचौर (priti chitran garg poem by Bharmal Garg)



bharmal garg ki kavita.


प्रीति चित्रण गर्ग 

(विधा - यात्रा डायरी )

कवि :- भारमल गर्ग सांचौर

मौन धारण कर वचन मेरे, लज्जा आए प्रीत मेरे ।
 मगन प्रेम सांसे सत्य ही है, शब्द अनुराग है मेरे ।। 

दुखद: प्रेम सदियों से चला आया । 
माया, लोभ ने विवश बनाया ।। 

कामुक कल्पनाएं प्रेम सजाए,विनम्र प्रेम जगत सौंदर्य दिखाएं। 
प्रीति, प्यार अनोखा चित्रण मन को भाता यह बोध विधान ।। 

बजता प्रेम का है यह अलौकिक संदर्भ जगत में ।
 देखो सजना सजे हैं हम प्रेम इन जीवन अब हाट पे ।।

 स्वर का विश्वास नहीं, देखो माया संसार में । 
वाणी के बाजे भी अब तो, टूट गए हैं आस में ।। 

प्याला मदिरा का मनमोहक दृश्य लगे जीवन आधार में । 
बिखरे हैं यह सज्जन देखो, टुकड़े-टुकड़े कांच जैसे कांच के ।। 

कलयुग में सजती है स्वर्ण कि यह लंका । 
ताम्र भाती प्रेम बना है, प्रेम यह संसार में ।। 

मैं चला हूं उस पथ पर अग्रसर कटु सत्य वचन से। 
मिथ्य वाणी ना बोलता सदा करूं मनमोहक जीवन से ।। 

एहसास है मेरे, हमदम प्रेम है संसार जगत में ।
 अब बन गया है यह देखो मन भी तन की आस में ।। 

तरणि से चले हैं इस पथ पर अनिष्ट अपना देखो । 
आभास नहीं अवधि का विख्यात क्या करें जीवन में ।। 

कृतघ्न अभियान विख्यात वसन से है नश्वारता लोगों को । 
आरूझाई प्राकार पाषाण कोर्त्तक अब है सांसोच्छेदन देखो ।। 

में हु अक्षुण्ण प्रेम जीवन में श्लाघ्य करते युगल की । 
स्वैराचार ना चला पाया, सुमुत्सुक देखो तरणि पे अनिष्ट हो रहा जीवन में ।। 

वात्याचक्र में बहका ना पढ़ पाया विनम्र भाव: को स्वयं ही सुंदरता में उलझा । 
अद्वितीय उज्ज्वल को परख दोष नहीं गर्ग ध्यान से, प्रेम बना जीवन जगत में यह अनुभूति संसार में ।।

कवि :- भारमल गर्ग सांचौर

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कवि परिचय

writer

भारमल गर्ग सांचौर

कवि और लेेेखक

जालोर,राजस्थान

भारमल जी राजस्थान से है और वे सामाजिक विचारक एवं श्रंगार रस के कवि है। और आप इस विशेषता को इनकी कविताओं और लेखों में बखूबी पायेंगे।

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