अन्नदाता-लघुकथा (anndata -short story by vinay kumar pathak)
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अन्नदाता (लघुकथा)
उसकी ड्यूटी लगी थी पंजाब से आ रहे किसानों के जत्थे को रोकने के लिए। मुस्तैदी से वह लगा हुआ भी था। जब किसान रुकने को तैयार नहीं हुए थे तो वॉटर कैनन चलाने, आंसू गैस छोड़ने के साथ लाठी चार्ज भी करना पड़ा था उसे। एक सरदार किसान को उसने पीट भी दिया था।
बाद में किसानों के नेता और सरकार के अधिकारी के बीच समझौता हुआ तो किसान वहीं नजदीकी पार्क में टेंट लगा कर टिक गए थे। चूंकि किसान पूरी तैयारी के साथ आए थे, वहीं खाना बनाने लगे थे। वह भी यहीं अपने दल के साथ खड़ा था। हुक्मरानों के अगले आदेश का पालन करने के लिए।
तभी उसने देखा #वही सरदार ये किसान जिसे उसने सुबह बुरी तरह दो पीट दिया था, #खाना लेकर आया और सभी सिपाहियों को बड़े प्यार और आदर से खाने को दिया और कहा 'लो साब जी, खा लो।
वह बड़ा लज्जित हुआ। जिसकी उसने पिटाई की थी वही उसके लिए खाना लाया था। उसकी झिझक देख सरदार किसान ने कहा- 'खा लो। साब जी। मुझे पता है आपने #ड्यूटी के वशीभूत होकर ही लाठी चलाई थी।'
#भूख उसे लगी हुई थी, पर वहां ऐसी कोई व्यवस्था नहीं थी। उसके हाथ स्वतः खाना लेने के लिए बढ़े। उसके चेहरे पर आश्चर्य के साथ #लज्जा और सरदार किसान के लिए #सम्मान का भाव था।
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🔺लेखक: विनय कुमार पाठक
🔺स्त्रोत: पत्रिका न्यूजपेपर
🔺चित्र: Google image
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