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ऋतुराज बसंत- कविता (Rituraj Vasant- Hindi poem)

Hind poem on vasant





ऋतुराज बसंत

कितने सुंदर दृश्य दिखाता, जब आता ऋतुराज बसंत। 
उपवन का उपवन खिल जाता, जब आता ऋतुराज बसंत ॥

हम भी चलो बसंत मनाएँ, मैदानों में दिखा कमाल।
रंग-बिरंगी उड़ी पतंग, पीले-पीले उड़ा रूमाल।

मन की लय पर तन मुसकाता, जब आता ऋतुराज बसंत। 
कितने सुंदर दृश्य दिखाता,जब आता ऋतुराज बसंत ॥

कली-कली की हँसी छूटी तो, बन जाती फूलों का अंग।
फुर्र-फुर्र तितली, गुन-गुन भौर गेम खेलने उनके संग।

पुष्प-पराग शहद छलकाता, जब आता ऋतुराज बसंत। 
कितने सुंदर दृश्य दिखाता, जब आता ऋतुराज बसंत।।

कवि -अज्ञात

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